अरूणा बंसल: हरियाणा की बेटी, हिमाचल की माटी और अंतिम इच्छा की भावुक कहानी

बचपन कभी लौटकर नहीं आता। स्कूल, अध्यापक और सहपाठी जीवन के वो अनमोल पल हैं जो भुलाए नहीं भूलते।

ऐसी ही भावुक यादों के बीच अरूणा बंसल ने अपनी अंतिम यात्रा से पहले एक अनूठी इच्छा जताई।

दिल्ली में 29 अगस्त को दुखद निधन के बाद, अरूणा बंसल के बेटों ने अपनी मां की अंतिम इच्छा पूरी की — पडोह के ब्यास नदी में उनकी अस्थियों का विसर्जन

हरियाणा की बेटी, हिमाचल की माटी, दिल्ली में जीवन

अरूणा बंसल का जन्म हरियाणा में हुआ, वे हिमाचल में पली-बढ़ीं और दिल्ली में रहकर जीवनयापन किया।
लेकिन हिमाचल, उनका स्कूल और उनके सहपाठी, उनके दिल के बेहद करीब थे।
उनकी इच्छा थी कि निधन के बाद उनकी अस्थियां उसी पडोह के ब्यास नदी में प्रवाहित की जाएं, जहां उन्होंने अपने जीवन की सबसे खूबसूरत यादें बनाईं।

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पडोह – यादों का स्कूल


अरूणा बंसल ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, पडोह से हायर सेकेंडरी की और मंडी कॉलेज से उच्च शिक्षा ग्रहण की।
बाद में उन्होंने आर्मी स्कूल में अध्यापन का कार्य किया। उनके पिता जीडी बंसल इसी स्कूल में गणित के बेहतरीन अध्यापक और बाद में प्रिंसिपल रहे।

सहपाठियों के बीच अंतिम विदाई

शरद नवरात्रि की नवमी को, उनके पति ऋषिकेश सिंगला, दोनों बेटे – सार्थक और लक्ष्य सिंगला, और मां लक्ष्मी बंसल पडोह पहुंचे।
अरूणा के सहपाठियों ने नम आंखों से उनका स्वागत किया।
स्कूल भवन की परिक्रमा की गई, उस कमरे में भी गए जहां अरूणा कभी पढ़ती और मस्ती करती थीं।


बेटों ने अपनी मां की अंतिम इच्छा पूरी करते हुए सहपाठियों के साथ मिलकर ब्यास नदी में उनकी अस्थियां विसर्जित कीं

एक मिसाल कायम करने वाली मां और बेटों की कहानी

आज के दौर में ऐसा परिवार मिलना मुश्किल है, जो अपने प्रियजनों की इच्छाओं को इतना सम्मान दे।
अरूणा बंसल के बेटों ने यह साबित कर दिया कि मां की यादें और संस्कार अमर होते हैं।
उनकी कहानी हमें सिखाती है कि –
“जड़ें कहीं भी हों, यादें और संस्कार हमेशा दिल में बसे रहते हैं।”



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